मनरेगा के पक्के कामों का भुगतान लंबे समय से अटका हुआ था। अगस्त से ही ठेकेदारों, सप्लायरों और ग्राम पंचायतों को पैसे नहीं मिले थे, जिससे सबकी परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब आखिरकार इंतज़ार खत्म हुआ। सरकार ने 14.42 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है।
यह राशि 11 सितंबर को जिले में पहुंच जाएगी और उसी दिन से सभी ब्लॉकों में डोंगल लगाकर भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। यानी कि अब ठेकेदारों और पंचायतों को उनका बकाया मिलना शुरू हो जाएगा।
कितना बकाया है?
जिले पर इस समय कुल 103.11 करोड़ रुपये का बकाया है। लेकिन अब तक सिर्फ 14% पैसा ही आया है। ऐसे में यह 14.42 करोड़ की किस्त लोगों को कुछ हद तक राहत तो देगी, लेकिन अभी भी बड़ी रकम बाकी है।
अगस्त से रुके हुए थे काम
अगस्त महीने से ही भुगतान न होने की वजह से ठेकेदारों, सप्लायरों और पंचायतों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था। मजदूरों की मजदूरी भी फंसी हुई थी और कई विकास कार्य आधे-अधूरे रुक गए थे। अब पैसा आते ही उम्मीद है कि काम फिर से तेजी से शुरू होंगे।
राहत तो मिली, लेकिन चिंता अभी भी है
लोग मानते हैं कि इस आंशिक भुगतान से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन जब तक बाकी रकम नहीं मिलती, तब तक परेशानी पूरी तरह खत्म नहीं होगी। ग्राम पंचायतों और ठेकेदारों की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि आगे का काम बिना पैसों के कैसे पूरा किया जाए।
गांवों में फिर से उम्मीद जगी
ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा उनके लिए सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि गांव के विकास का सबसे बड़ा साधन है। समय पर मजदूरी न मिलने से कई परिवारों की दिक्कतें बढ़ गई थीं। अब जब किस्त आई है तो उम्मीद की जा रही है कि बाकी पैसा भी जल्दी मिलेगा और कामकाज पूरी रफ्तार से चलेगा।
सरकार पर दबाव
सरकार पर अब दबाव है कि जल्द से जल्द पूरा बकाया जारी करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ग्रामीण विकास की गति एक बार फिर रुक सकती है। पंचायतें और ठेकेदार साफ कह रहे हैं कि मनरेगा का असली मकसद तभी पूरा होगा जब मजदूरों और सप्लायरों को समय पर उनका हक मिलेगा।
कुल मिलाकर, यह 14.42 करोड़ रुपये की किस्त लोगों के लिए राहत लेकर आई है, लेकिन इसे पहली सीढ़ी ही कहा जा सकता है। असली राहत तभी मिलेगी जब पूरा पैसा जिले में पहुंच जाएगा और मजदूरों से लेकर पंचायतों तक सबका भुगतान हो जाएगा।